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ऐतिहासिक है केंद्र सरकार की नई स्वास्थ्य नीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने बहुप्रतीक्षित अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को सदन के पटल पर रख दिया है। मोदी सरकार ने जो नई स्वास्थ्य नीति प्रस्तुत की है वह बेहद अहम तथा काफी चुनौतीपूर्ण भी है। इस नीति में पहली बार योग को शामिल किया गया है। यह संघ की विचारधारा से भी कुछ सीमा तक मेल खा रही है। मीडिया में सरकार की स्वास्थ्य नीति पर कोई विशेष चर्चा नहीं हो रही है। यह एक बेहद आश्चर्य की बात है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 पर संसद के दोनों सदनों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने बताया कि वर्तमान स्वास्थ्य नीति देश के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्धि व अभूतपूर्व है। नई नीति 15 वर्षों के बाद पेश की गयी है जिसमें कई नयी बातों का उल्लेख किया गया है।
नई स्वास्थ्य नीति बदलते सामाजिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकी और महामारी विज्ञान परिदृश्य में में उपस्थित और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिये 15 वर्ष के अंतराल के बाद आयी है। इससे पहले वर्ष 2002 राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लायी गयी थी। नई नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए रुग्णता देखभाल की अपेक्षा आरोग्यता केंद्रित करने पर जोर दिया गया है साथ ही मराीजों को अधिकार संपन्न बनाने का प्रयास किया गया है।
नई स्वास्थ्य नीति में सरकार ने बहुत सारे लक्ष्यों को निर्धारित किया है। सरकार का सबसे बड़ा और पहला लक्ष्य यह है कि मनुष्य से संबधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 वर्ष से बढ़ाकर वर्ष 2050 तक 70 वर्ष करने और वर्ष 2022 तक प्रमुख रोगों की व्याप्तता तथा इसके रुझान को मापने के लिये अशक्तता समायोजित आयु वर्ष सूचकांक की नियमित निगरानी करने के साथ वर्ष 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म वाली शिशु दर को वर्ष 2025 तक घटाकर एक अंक तक में लाने का अभूतपूर्व लक्ष्य रखा गया है।
सरकार ने अपनी नई नीति में कई रोगों के उन्मूलन का भी लक्ष्य रख लिया है, जिसमें 2018 तक देश से कुष्ठ रोग की समाप्ति, वर्ष 2017 तक कालाजार और वर्ष 2017 तक ही लिम्फेटिक फाइलेरियसस का उन्मूलन करने की बात कही गयी है। इसके साथ ही क्षय रोगियों में 85 प्रतिशत से अधिक इलाज दर प्राप्त करने पर जोर दिया गया है, ताकि वर्ष 2025 तक इसका उन्मूलन किया जा सके।
साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने स्वास्थ्य सवंर्धन पर बल देते हुए जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। दूसरी सबसे बड़ी बात यह रखी गयी है कि अकाल मृत्यु दर को भी 25 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने हृदयवाहिका रोग, कैंसर मधुमेह या श्वांस संबंधी रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु दर को वर्ष 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत करने की बात कही गयी है।
नई स्वास्थ्य नीति का सबसे महत्वपूर्ण विषय इस बार योग है। योग को अच्छे स्वास्थ्य संवर्धन के भाग के रूप में स्कूलों एवं कार्यस्थलों में अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जायेगा। नीति के तहत विनियामक परिवेश में सुधार करने और उसे सुदृढ़ करने के लिए नीति में मानक तय करने के लिये प्रणालियां निर्धारित करने तथा स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
नीति में स्पष्ट किया गया है कि चिकित्सा शिक्षा में सुधार करने की अपेक्षा की गयी है। यह नीति व्यक्ति आधारित है। स्वास्थ्य सुरक्षा का समाधान करने और औषधियों एवं उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया को लागू करने की परिकल्पना की गयी है। इसमे जनस्वास्थ्य लक्षणों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा उपकरणों तथा उपस्करों के लिए नीतियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की भी परिकल्पना की गयी है। नई नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य पर भी जोर दिया गया है तथा स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने पर भी बल दिया गया है। नई स्वास्थ्य नीति के अंतर्गत सभी सार्वजनकि अस्पतालों में निः शुल्क दवा, निशुल्क निदान तथा निशुल्क आपात एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। नई स्वास्थ्य नीति में मेक इन इंडिया की परिकल्पना को बढ़ावा देने की बात कही गयी है। इस नई स्वास्थ्य नीति पर पर पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्स्वास्थ्य नीति में नागरिकों का हित सर्वोपरि रखा गया है। नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का दस्तावेज भविष्योन्मुखी है।
सबसे बड़ी बात यह है कि अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभल मानक संगठन का सृजन किया जायेगा जो स्वास्थ्य देखभाल के लिए दिशा निर्देश और प्रोटोकाल तैयार करेगा। विवादों और शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए एक अलग सशक्त न्यायाधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान रखा गया है। जिसके अंतर्गत अब मरीज अपनी शिकायतें भी रख सकेंगे।
सरकार की ओर से पेश किया गया नई स्वास्थ्य नीति 2017 का दस्तावेज वाकई में बेहद ऐतिहासिक है तथा सरकार के लक्ष्य भी। यदि नई स्वास्थ्य नीति को कारगर ढंग से सरकार लागू करने में सफल रही तो देश के स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। लेकिन अभी देश के सभी नागरिकों को उच्च तकनीक की सवास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बडा काम करना है। अब इतना बड़ा देश कम से कम हर जिले में एक बडा चिकित्सालय और उसमें हर प्रकार की सुविधा तो चाहता ही है। हमारे देश में आयुर्वेद का बड़ा महत्व है तथा उसका क्षेत्र भी काफी विस्तृत है। लेकिन विगत 70 सालों में जितनी भी सरकारें आयी हैं उनमें से लगभग सभी ने आयुर्वेद का तिरस्कार ही किया है जिसके कारण आयुर्वेदिक चिकित्सालय तो बहुत हैं लेकिन उनकी हालत बद से बदतर है। यदि आयुर्वेद को बेहद ईमानदारी से विकसित किया जाये व सरकारी सहायता मिले तो सरकारी लक्ष्यों को पूरा करना बेहद आसान हो जायेगा।

मृत्युंजय दीक्षित