राजनीति

मंदिर या मस्जिद ! २०१९ के बाद बनेगा ?

मेरा एक मित्र है कासिम , हम उम्र न होने के बावजूद मेरा गाढ़ा वैचारिक मित्र है /पक्का नमाजी है लेकिन बेहद सुलझा हुआ ब्यक्ति है / मजहब के किसी उस मुमानियत को नहीं मानता जो जीवन के सहजता को बाधित करे ! हर धर्म पर तार्किक कटाच्छ करता है / यद्यपि उसके कुछ तर्क मुझे बेहद सतही लगते है लेकिन उसकी दुराग्रह बिहीनता मुझे बहुत प्रभावित करती है , धार्मिक अनुशासन को वह नियम संयम न मानकर बंधन मानता है / नमाजी होने का कारण पारिवारिक पृष्ठभूमि बताता है / उसका विन्दासपन मुझे अच्छा लगता है , इसलिए उससे मेरी प्रतिदिन खूब बहस होती है / धर्म से लेकर राजनीती तक / इधर तीन तलाक और मंदिर मस्जिद का मुद्दा खूब गर्माया है , मैंने यु ही विनोदबस पूछ लिया की मंदिर या मस्जिद कब बनेगा और तुम्हारी क्या इच्छा है ? वह तपाक से बोला की गुरु जी इसमें हमारी आपकी इच्छा का कोई महत्व नहीं है , महत्व है नेताओ की क्या इच्छा है ? फिर भी आपने जब सवाल उठा ही दिया है तो मेरी इच्छा वहां मंदिर बनने की है और वहां ही नहीं हर गांव गली मोहल्ले में मंदिर बने ! हम लोगो का क्या हम कही भी मुसल्ला बिछा कर नमाज पढ़ लेंगे लेकिन हिन्दू बिना मंदिर या मूर्ति के कहा फूल अक्षत जल चढ़ाएगा , कहा ढोल करतल के साथ भजन गायेगा ? समस्या हिन्दुओ के सामने है लेकिन क्या कीजियेगा , हम अपने कठमुल्लो से परेशान है और आपलोग अपने भगवान् से !फिर भी वह क्या बनेगा यह तय हिन्दू ही करेगा क्योकि मुस्लिमो की धर्मबुद्धि हमेशा एक रहती है जबकि हिन्दुओ की धर्मबुद्धि बदलती रहती है / मैं पिछले कई दिनों से टी वी डिबेट देख रहा हु जिसमे बहुत सारे श्रोतागण मौजूद रहते है , जिसमे मंदिर पर सबसे ज्यादे सवाल हिन्दू युवा ही उठाते है कोई कहता है वहां आलिशान अस्पताल बनना चाहिए , कोई कहता है जहां इतना भुखमरी बेरोजगारी है वहां मंदिर में हम क्यों उलझे है , नेता तो वह शौचालय बनाने की बात कह ही चुके है / मुसलमान मस्जिद के लिए कभी ऐसी बात कह ही नहीं सकता , ईसाई गिरजाघर और सिक्ख गुरुद्वारे के लिए कभी ऐसी बात नहीं कहेगा / जहां आधुनिकता के नाम पर इतना आस्थाई स्वच्छन्दता और सांस्कृतिक अवहेलना है वहां क्या बनेगा आप खुद समझ लीजिये /

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104