लघुकथा

पानी की जात

पिंकी बर्तन पकड़े चुपचाप अपनी अम्मा के पीछे चल रही थी। आज फिर पानी लाने के चक्कर में उसका स्कूल छूट गया। एक जगह जब अम्मा और बाकी की औरतें आराम करने के लिए रुकीं तो उसने पूंछा “अम्मा गांव में तालाब है तो हम इतनी दूर चल कर पानी लेने क्यों जाते हैं।”
उसके सवाल पर अम्मा ने जवाब दिया “बिटिया वह हमारे लिए नहीं है। वह बड़ी जात के लोगों का पानी है।”
“पानी की भी जात होती है क्या? स्कूल में टीचर दीदी तो कहती हैं कि भगवान की बनाई चीज़ पर सबका बराबर का अधिकार होता है। पानी तो भगवान बरसाते हैं ना।”
“वो सब हमको नहीं पता। हम तो जनम से यही देखे हैं। उनका पानी अलग है और हमारा अलग।” कह कर अम्मा और बाकी औरतें चलने लगीं।
पिंकी भी पीछे चल पड़ी। पर उसके मन में यह सवाल हलचल मचा रहा था कि पानी की जात कैसे पता चलती है।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है