स्वास्थ्य

सपने आपके स्वास्थ्य के दर्पण हैं

नींद में सपने देखना एक स्वाभाविक बात है। लगभग सभी लोग सपने देखते हैं और बहुत से लोग तो रोज ही देखते हैं। बहुत से लोग सपनों को भविष्य का सूचक मानते हैं और उनका शुभ या अशुभ फल जानना चाहते हैं, परन्तु इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सपने भविष्य के सूचक हों या न हों, लेकिन ये आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के सूचक अवश्य होते हैं। सुहावने और सुखद सपने देखने वालों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रायः अच्छा होता है, जबकि डरावने और दुःखद सपने देखने वालों का स्वास्थ्य निश्चय ही खराब होता है।

सपने दिखाई देना आवश्यक नहीं है। वास्तव में यदि आपको सपने नहीं आते, तो बहुत अच्छी बात है, क्योंकि बिना सपनों की नींद गहरी होती है, जिससे शरीर और मन को पूर्ण विश्राम मिलता है। यदि सपने कभी-कभी और छोटे-छोटे दिखाई देते हैं, तो भी चिन्ता की कोई बात नहीं है। सुखांत सपने भी देखना हानिकारक नहीं है। लेकिन यदि सपने अधिक आते हों, बहुत डरावने होते हों, जिससे आपकी नींद अचानक खुल जाती हो अथवा दुःखांत होते हों, तो अवश्य चिन्ता की बात है, क्योंकि ऐसे सपने आपकी मानसिक और शारीरिक अस्वस्थता के द्योतक हैं।

पहले मानसिक स्वास्थ्य को लीजिए। जो लोग बहुत अधिक विषय भोगों का चिन्तन करते हैं, किसी व्यक्ति विशेष की कामना करते हैं, उनके मन की कुंठा प्रायः सपनों के माध्यम से निकल जाती है। दूसरे शब्दों में, बहुत से सुखद या दुःखद सपने हमारे मन की दमित आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति होते हैं। एक प्रकार से ऐसे सपने हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध होते हैं। लेकिन ऐसे सपने अधिक संख्या में आना खतरनाक है। ऐसी स्थिति में अपने मन को साफ रखना चाहिए। यदि आप किसी व्यक्ति विशेष के प्रति दुर्भावना रखते हैं, तो उसे अर्थात् उसके कारण को समाप्त करना चाहिए। भ्रामरी प्राणायाम और ओंकार ध्वनि (उद्गीत) इसमें बहुत सहायता करते हैं।

डरावने सपने आना, जैसे कोई दुर्घटना होने, ऊँचाई से नीचे गिरने, पानी में डूबने अथवा कहीं जंगल या भवन में रास्ता भूल जाने का सपना देखना गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं का सूचक होता है। विशेष रूप से इनका सम्बंध पेट की खराबियों से होता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को खून की उल्टी होने का सपना आया। जाँच से पता चला कि उसके पेट में अल्सर था। इसी तरह गड्ढे में गिरने का सपना भयंकर कब्ज का सूचक हो सकता है। ऐसी स्थिति में अपने स्वास्थ्य की जाँच करानी चाहिए और जो भी कमी पायी जाये, उसे दूर करना चाहिए।

इस प्रकार यदि सपनों का सही अर्थ समझा जाये, तो वे हमारे स्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायक हो सकते हैं।

विजय कुमार सिंघल
वैशाख कृ 5, सं 2074 वि. (16 मई 2017)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com