लघुकथा

मैं आज़ाद नहीं !

रीना स्कूल से घर के लिए निकली थी स्कूल में स्वतंत्रता दिवस के खूब रंगारग कार्यक्रम हुए थे, उन सबकी यादें लिए रीना मुस्काती आज़ादी के गानों को गुणगुनाती जा रही थी तभी सुनसान गली जो उसके घर को जाती थी रीना चल पड़ी। रीना को लगा कोई उसका पीछा कर रहा है , वो डरते हुए भाग कर अपने घर पहुंची। मां ने पूछा क्या हुआ…? कुछ नहीं मां बहुत मज़ा आया प्रोग्राम में ,हमने गाने भी गाए और डांस भी किया। रीना बस तेरी उम्र अब शादी की हो रही है यह स्कूल अब बंद करना पड़ेगा तेरा, शाम को जब बाबा घर आए तो मां ने बाबा से भी कहा कि आज हाँफ कर घर पहुंची रीना, ज़माना बड़ा खराब है लड़की का मामला है रोहन की पढ़ाई चलने दो पर रीना १६ – १७ की हो रही है इसके लिए लड़का देखो और ब्याह दो ससुराल वाले चाहें तो पढ़ाते रहें । वैसे भी अगले साल कालेज में “न बाबा न”मैं और संभाल नहीं सकती जवान लड़की को। मां ने पड़ोस की आंटी से बात की तो उनका दूर का रिशतेदार था लड़का नौकरी करता था शहर में,पर उम्र में बारह साल बड़ा था, पर रीना की मां तो लड़के के घर और नौकरी की बात सुनकर राजी हो गई शादी के लिए और बाबा को भी मना लिया रीना से क्या पूछना। लड़का कमाता है शहर रहता है उम्र का क्या है चलता है रोज़ रोज़ अच्छे रिशते नहीं मिलते। रीना की मर्जी पढ़ने की थी कालेज जाने की थी पर घरवालो के आगे न बोल सकी, सोचा पति से कहूंगी कि आगे पढ़ना चाहती हूँ पर शादी के बाद जब पति के साथ शहर गई तो पति ने भी मना कर दिया कहा घर कौन संभालेगा खाना कौन बनाएगा मैं नौकरी पर चला जाऊंगा वैसे भी यह शहर है गांव से भी ज्यादा डर होता है लड़कियों को। रीना चुप रही पर अंदर ही अंदर अपने स्कूल के आखिरी दिन को याद कर रही थी आज़ाद हैं हम. …. , और सोच रही थी शायद मैं आज़ाद नहीं!

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |