कविता

चोटी काटने वाले से दुखी हूँ

कुछ औरतो के चोटी कटने की खबर सुन——
मेरी लुगाई भी सदमे मे है।
वे सोये मे भी उठ जा रही बार-बार,
फिर चोटी टटोल सो जा रही,
अभी कल ही तो उसने——-
एक तांत्रिक के बताये कुछ सामान मंगवा के,
अपनी पुरी चोटी का तीन चक्कर लगा,
घर मे सुलगाई अंगीठी मे,
काला तील,लोबान,कपुर सब डाल कर,
आँख मुद अपनी चोटी के रक्षार्थ,
उस काले-कलुटे तांत्रिक के बताये,
उट-पटांग सा श्लोक पढ़,
फिर अपनी चोटी मे…
15 से 20 मिनट तक नींबू और हरी मिर्च टांग,
अनमने मन से एक कप चाय लाती है।
उसके इस हाल पे हँसी और तरस दोनो आ रहा,
क्या करु पति हूँ…
इसलिये मै उस चोटी काटने वाले से दुःखी हूँ।

रंगनाथ द्विवेदी

रंगनाथ दुबे

जन्मदिन-10-7-1982 शिक्षा----एम.ए.,डि.एच.एल.एस. संम्प्रति----इटीनरेंट टीचर समेकित शिक्षा। प्रकाशन----अमर उजाला,अपने यहाँ के विथिका कालम से दैनिक जागरण में रचनाये व व्यंग्य लेख का प्रकाशन,सच का हौसला,तरुणमित्र,देश की उपासना,व करुणावती साहित्य धारा के अलावे अन्य पत्र-पत्रिकाओ से रचनाओ का प्रकाशन। mo.no.----7800824758 ईमेल एड्रेस-----rangnathdubey90@gmail.com