गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

इतना न हमे याद आया करो
हर जगह न यूं सताया करो
रोज होती है लड़ाई हमसे
प्यार फिर न जताया करो
घड़ी दो घड़ी जहन से मेरे
दूर कही चले जाया करो
मचल उठती है हसरते मेरी
गली से न गुजर जाया करो
हो जाती है धड़कने जवां
तरस इनपे जरा खाया करो
इश्क जानम बुरी चीज है
सर इसको न चढ़ाया करो
कटती नही याद मे राते
पहलू मे नजर आया करो
चांद भी रूठ जाता है हमसे
नजरे न हमसे मिलाया करो
है नकाब चेहरे पे हमारे
हमसे न टकरा जाया करो
देंगे ताना ये जमाने वाले
जरा नजरे तो झुकाया करो

प्रीती श्रीवास्तव

 

प्रीती श्रीवास्तव

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