कविता

भ्रूण में पल रही कन्या की पुकार

मुझे आने दो ..
मुझे इस दुनिया में आने दो
मत मारो मुझे , मुझे आने दो,
मैं ‘माता’ का रूप लेकर आऊंगी
मैं कन्या रूप में पूजी जाऊंगी
मुझे आने दो .
जब थोड़ी बड़ी हो जाऊंगी
घर के सब कामों में हाथ बटाऊंगी
साथ साथ खूब पढूंगी लिखूंगी
कुछ बन कर दिखाऊंगी
मुझे आने दो,
मैं बेटी का प्यार दूंगी
बहन का दुलार दूंगी
भैय्या के हाथों में राखी सजाऊँगी
भैय्या  के माथे पर तिलक लगाऊंगी ,
पत्नी बन कर सुख का संसार दूंगी
फिर सृष्टी की संचालक बन,
स्ययं दर्द पीड़ा झेल कर
मैं माँ भी बन जाऊंगी,
मुझे आने दो ..
मैं कुछ कर के दिखाऊंगी ,
दुनिया में नाम कमाऊंगी
मेरी शादी के खर्च की चिंता मत करना ,
मैं अपने पैरों पर खड़ी हो के दिखाऊँगी,
फिर भी –
सच कहती हूँ—
मै बेटी , बहन , पत्नी और माँ का
पूरा फ़र्ज़ निभाऊंगी ,
मुझे आने दो ..
मुझे इस दुनिया में आने दो
मत मारो मुझे , मुझे आने दो,

जय प्रकाश भाटिया 
०७/०९/२०१७

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845