कविता

जीवनसाथी….

मेरे जीवन के हसीन पन्नों पे
रंग बिरंगे स्याहियों की
सौगात हो तुम…..

जो मिट न सके कभी
दिल की दीवारों से
ऐसी अमिट चाहत की
छाप हो तुम…..

वक्त का कोई लम्हा….
गुजरता नहीं तुम्हारे बिना

मुस्कुराता मंद मंद मन मेरा
देख, तेरा ही चेहरा….

गुनगुनाती है हवाएं
कानों में लेकर नाम तेरा….

भीग जाता है मेरा तनमन
तुम्हारे एहसासों की बारिश में

प्यार की आंधिया उड़ा ले जाती हैं
प्रेमसिक्त जज्बातों की दुनिया में

डूबती चली जाती हूँ निरन्तर
प्रेम की बहती धारा में….

एक सुकून अंतस में तृप्ति की
निखार देता है मेरा यौवन

मेरी खुशियां…मेरी चाहत….
सब तुम ही में समाहित

तुम हो तो मैं हूं
तुम्हारे बिना मैं अधूरी सनम।

*बबली सिन्हा

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