सामाजिक

आत्महत्या नहीं , कभी नहीं 

 

बहुत से लोग सोचते हैं कि आत्महत्या का प्रयास स्वार्थी चाल है क्योंकि उस व्यक्ति को पीछे छोड़ने वाले अपने लोगों की परवाह नहीं है। मैं आपको बता सकता हूं कि जब कोई व्यक्ति उस मानसिक दशा पर जाता है, तो वे वास्तव में मानते हैं कि उनके प्रियजनों ने उनके साथ बहुत अच्छा किया होगा , पर उस क्षणिक आवेश में अनर्थ हो जाता है, यह मानसिक बीमारी है, वह स्वार्थी नहीं है

सच्चाई:, सच्चाई, कभी कभी एक भयानक मानसिक बीमारी बन जाती है, और जो इसका सामना करने में अपने को पूर्णयता अयोग्य समझने लगते हैं , ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठा लेते हैं, । हममें से बहुत से इस किनारे के नजदीक रहे हैं, या संकट में परिवार के सदस्यों के साथ निपटे हैं, , और कुछ ने मित्र और प्रियजनों को खो दिया है आइए एक दूसरे के लिए बात को समझे और मानसिक बीमारी को रोकने का प्रयास करें. मैंने ऐसे कई हताश लोगो को अपना समझ कर उनकी मानसिक विचारधारा को बदला है, और वो जो मरने मारने की भाषा बोलने लग गए थे , उन्हें भी प्रेम भाव से जीना सिखा दिया है, ऐसा हम सब को मिल जल कर ही करना होगा,

मैं एक आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्ति को जानता हूं और वह हमेशा उस घड़ी का पछतावा करता है, जब उसने ऐसा किया पर प्रभु की कृपा से जान बच गयी, पति पत्नी की ज़रा सी बात ने विकराल रूप ले लिया था, पर आज भी उस घटना के लगभग ४० वर्ष बीतने पर वह एक बहुत ही प्रिय पति पत्नी युगल, प्रेम भाव से ज़ी रहें हैं, मेरा एक अन्य मित्र इतना सौभाग्यशाली नहीं था, अनर्थ जो होना था हो गया,इन दोनों ही दुखद

​ ​घटनाओ का विश्लेषण किया जाये तो पता चलता है की पति पत्नी के बीच बस छोटी सी बात दिल को लग गई और अनहोनी हो गई, जबकि दिल में प्यार की कोई कमी नहीं थी . कितना दुर्भाग्यपूर्ण और कष्टदायक है यह सब

​.​आत्महत्य, यह एक स्वार्थी चाल नहीं है, लेकिन थोड़े समय की स्थिति है जहां एक व्यक्ति को इतनी हताशा है, कि वह इस चरम कदम को उठा रहा है ताकि लोगों को पता चले कि वह कितना बुरा महसूस कर रहा है, और उसको न्याय से इनकार किया गया है, अगर किसी भी तरह से इस स्तिथि को गुजर जाने दिया जाये तो अनहोनी रुक सकती है, यह कम समय की स्थिति पारित करने की वजह बन जाये , तो चीजें सामान्य हो सकती हैं, हमें क्रोध, जीवन में नकारात्मकता से बचना चाहिए और अगर हमें लगता है कि कोई व्यक्ति भड़काऊ है और स्थिति खराब से भी बदतर हो सकती है तो हमें दमकल के रूप में कार्य करना चाहिए

मान लीजिये कोई हताश व्यक्ति एकांत पाकर फांसी का फंदा लगाने की तैयारी कर रहा है, वह फंदा गले में डालने ही वाला है, पर उसी समय कोई मित्र मिलने के लिए आ जाता है , कुछ देर सामान्य बातें होती है, चाय अदि पीते हैं और मित्र चला जाता है, क्या मरने वाला व्यक्ति मित्र के जाने का इंतज़ार क्रर रहा था की वह जो “ज़रूरी” काम क्रर रहा था अब उसे निपटा ले, कदापि नहीं , वह तो उस घड़ी को याद करेगा कि वह क्या करने जा रहा था और प्रभु ने ऐन मोके पर मित्र को भेज क्रर उसकी जान बचा ली. वह घड़ी टल गयी,

हर कोई एक अकेला व्यक्ति नहीं है ,परिवार, समाज, संगठन या समूह का एक हिस्सा है, हमारे सभी का जीवन भगवान का उपहार है, हम भगवान के निर्मित सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ हैं सबसे अच्छा हैं, हम ऐसी स्तिथि में प्रभु को याद करें और निर्णय भगवान पर छोड़ दें।

नहीं और कभी नहीं, कोई आत्महत्या कभी नहीं

–जय प्रकाश भाटिया

09646673770

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845