लघुकथा

साज़िश

“देखो! देखो… कोई दरवाजे का ग्रिल काट रहा है… कोई तो उसे रोको ! अंदर आकर वो मुझे भी मार डालेगा…”
“आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है ? मुझे तो कोई दिखलाई नहीं दे रहा है…”
“हाँ नाना जी ,नानी जी सही बोल रही हैं! हमें कोई नहीं दिखलाई दे रहा है…”
“देखो ! देखो… बिस्तर पर आकर वो बैठ रहा है…”
बड़ा बेटा विदेश बस गया था और छोटा बेटा घर जमाई बन गया था… बेटी संग रहती थी लेकिन अपने बेटे के नौकरी पर जाने की इच्छा जब से वो बताई थी तभी से ऐसी बातें करने लगे थे बद्री प्रसाद…”
आज ही उनका नाती उनकी बेटी को लेने आया तो उनका कुछ ज्यादा ही बड़बड़ाना शुरू हुआ
“देखो! देखो! कोई आया…”

 

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ