स्वास्थ्य

मूत्र विसर्जन में रुकावट और उसका समाधान

मेरे कनाडा वाले एक मित्र को अपने पेट की सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) कराने के लिए रेडियोलॉजिस्ट की सलाह पर अपना मूत्र काफी देर तक रोकना पड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि उनका मूत्र एकदम रुक गया और सात घंटों तक नहीं हुआ। इसी बीच उनको असहनीय दर्द, जलन और बेचैनी का भी सामना करना पड़ा।

वे ऐलोपैथिक उपचार लेना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने मुझे सन्देश भेजा। इसके उत्तर में मैंने उनको निम्न लिखित सलाह दी-

1. अभी आप अपने पेडू (नाभि से नीचे पेट का आधा भाग) पर ठंडे पानी से भीगी हुई तौलिया पाँच मिनट के लिए रखिए। थोड़ी देर बाद आपको पेशाब आ जाएगा।
3. निकालने के लिए बिल्कुल ज़ोर मत लगाइए। अपने आप निकलने दीजिए।
4. हर घंटे पर एक गिलास गुनगुना जल पीजिए।
5. यदि खीरा उपलब्ध हो तो उसका जूस बीच बीच में ले सकते हैं।
6. दोबारा एक घंटे बाद पट्टी रख सकते हैं। पट्टी १० मिनट तक रख सकते हैं पर ठंडी रहनी चाहिए। दोबारा तर कर लें।
7. पट्टी हटाने के बाद शरीर में गर्मी लाना ज़रूरी है। इसके लिए कुछ व्यायाम करें।

उन्होंने इस सलाह का पालन किया और यह बताते हुए मुझे प्रसन्नता है कि उनको तत्काल लाभ हुआ। मूत्र निकलने लगा। शुरू में बूँद-बूँद ही निकला। फिर धीरे धीरे सामान्य हो गया।

मैंने उनको यह भी बता दिया था कि पूरी तरह सामान्य होने में दो-तीन दिन लग सकते हैं।

मैंने उनसे निवेदन किया था कि सामान्य होने के बाद अपना अनुभव समूह में सबके साथ साझा करें। परन्तु वे बडे साहित्यकार हैं, अत: व्यस्तता में भूल गये।

मैं सभी सज्जनों से निवेदन करता हूँ कि यदि कभी सोनोग्राफी करानी हो, तो पहले यह पता कर लें कि उनकी बारी किस समय आएगी। उससे लगभग 45 मिनट पहले उनको मूत्र विसर्जन कर आना चाहिए और फिर यथेष्ट जल पीना चाहिए। इससे सोनोग्राफी के समय तक उनको पर्याप्त मूत्र बन जाएगा और अधिक देर रोकना भी नहीं पड़ेगा।

— विजय कुमार सिंघल
आश्विन कृ ३, सं २०७४ वि (९ सितम्बर २०१७)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

2 thoughts on “मूत्र विसर्जन में रुकावट और उसका समाधान

  • लक्ष्मी थपलियाल

    समस्या का सुंदर समाधान सम्माननीय
    उपयोगी..सटीक

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, इतनी भयंकर समस्या का इतना सरल व अद्भुत उपचार जानकर बहुत अच्छा लगा. अत्यंत समसामयिक, सटीक व सार्थक रचना के लिए आपका हार्दिक आभार.

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