गीतिका/ग़ज़ल

जो दिखता है अक्सर धोखा होता है

जो दिखता है अक्सर धोखा होता है
हर चेहरे के पीछे चेहरा होता है

बतलाते हैं गर्दिश के दिन हम सबको
जो अपना है कितना अपना होता है

वक्त पड़ेगा तो समझोगे सच्चाई
हर रिश्ता मतलब का रिश्ता होता है

कोशिश लाख करे इंसा लेकिन फिर भी
होकर रहता है जो होना होता है

सिर्फ़ हक़ीक़त में जीना सीखो यारो
सपना सपना है कब सच्चा होता है

अपना कोई ख़ास गया तब ये जाना
दर्द किसी के जाने का क्या होता है

मख़मल के गद्दे बिस्तर हैं कुछ दिन के
आख़िर तो मिट्टी में सोना होता है

महर खुदा की हो जाए जिसके ऊपर
दुनिया में उसका ही जलवा होता है

पद बढ़ने से बढ़ता है केवल रूतबा
अच्छे कर्मों से कद ऊँचा होता है

सतीश बंसल
१२.०३.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.