सामाजिक

गिरती हुई मानसिकता, उठता हुआ यौन अपराध

आज भारत में बलात्कार एक ज्वलंत समस्या बन चुकी है।महिलाएं और हमारी बेटियाँ असुरक्षित हैं। कभी भ्रूण हत्या, कभी दहेज दानव का शिकार और फिर कभी बलात्कार का शिकार।
कहीं न कहीं कोई न कोई दरिंदा हत्या या हवस का मुँह छिपा कर किसी न किसी कोने में मौके के ताक में बैठा है। इस दरिंदो को पता नहीं कि वो क्या कर रहा है। वो जो कर रहा है, समाज में कितना बड़ा अपराध है।
इन सबो के पीछे अगर कारण के तौर पे देखा जाए तो वो है भारत की रूढवादिता।इस रूढवादिता की बेडिया ही है जो माँ बाप अपने बच्चों को खुलकर यौन शिक्षा की जानकारी न दे पाते है और इसी रूढ़िवादीता के चलते बच्चों को स्कूलों में यौन शिक्षा से वंचित रखा जाता है। जबकि ये शिक्षा निहायत ही आवश्यक है क्योंकि यही शिक्षा कुंठित और विकृत मानसिकता को दूर कर सकती है।
दूसरा, देश में सख्त और ठोस कानून की आवश्यकता है जो ऐसे असामाजिक तत्वों को मौत की सजा त्वरित गति से बीच चौराहे पे जनता के समक्ष दे ताकि अपराधियों के बीच एक स्पष्ट संदेश जाए ताकि ऐसी सजा देखकर रौंगटे खड़ी हो जाऐ। कुछ देशों में ऐसी सजा का प्रावधान है जिसका अनुकरण करना अनिवार्य है।
अंत में, हमें भी अपनी समाजिक मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है क्योंकि जब तक बेटे- बेटी के बीच भेदभाव और दहेज प्रथा को बंद न करेंगे तबतक सुधार की बातें बेमानी है।
आईए हम सब मिलकर अपनी घर की बेटियों की सुरक्षा के साथ अपने पड़ोसियों की बेटियों को भी अपनी बेटी समझकर सुरक्षित करने की कसम खाऐ क्योंकि बेटी है तभी बेटे है और तभी देश।

मृदुल शरण