गीतिका/ग़ज़ल

मेरे मन में झाँका ही कब

मेरे मन में झाँका ही कब
तुमने मुझको समझा ही कब

कहते हो मैं गैर नही हूँ
तुमने अपना माना ही कब

अधरों का हँसना तो देखा
मन का रोना देखा ही कब

रुक तो जाता जाने वाला
तुमने मनसे रोका ही कब

हिस्सा तो सबका था लेकिन
सबके हिस्से आया ही कब

जिसको वापस माँग रहे हो
कर्जा मुझ तक पहुंचा ही कब

सरकारी रहमत का बादल
मुफलिस के घर बरसा ही कब

सतीश बंसल
१३.०८.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.