गीत/नवगीत

बारिश

बारिश का मौसम वैसे तो लगता है सबको सुखदाई
पर गरीब के दुख को तो वर्षा रानी भी समझ न पाई

उसकी छत का टपकना
रातों का जागना
टपकते पानी के नीचे
नन्हें हाथों बर्तन रखना
जैसे तैसे रात कटी कुछ आस लिए तब भोर है आई

आस पर पानी फिरा
जब रवि ने न आँख खोली
ना सुनाई दी कहीं से
एक भी पंछी की बोली
उनके द्वारे लग रहा था जैसे कोई प्रलय आई

उनके चारों ओर बस
मचा था तूफानी ह्ल्ला
जल नहीं पाया था पिछले
कई दिनों से घर में चूल्हा
अब तो उनकी आँखों में भी गरज के बरसात आई

— पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है