कहानी

कलयुगी राम

कलयुगी राम

रोहन अपने दादा दादी के साथ गांव में न रह कर माता पिता के साथ पास के शहर में रहता है कारण गांव में कोई अच्छा स्कूल नही ,बिजली भी नही आती थी ।
इसके कारण रोहन की पढ़ाई खराब हो रही थी तो उसके पिता शहर में आ गए । पहले कुछ सालों तक वो लोग हर त्यौहार पर गांव जाते पर जैसे जैसे रोहन बड़ी कक्षा में आता गया उसका गांव जाना बंद सा होता गया ।
उसको दादा दादी की बहुत याद आती गांव के दोस्त भी पर मन मोस कर रह जाता ।
गांव से दादा दादी आते पर खेती के कारण वो कुछ दिन रुक आ जाते ।
रोहन बाहरवीं में आ गया और इस साल उसने मन में ठान ली कि इस दीवाली पर वो गांव जाएगा चाहे उसके माता पिता आये या नही ।
रोहन बिना दादा दादी को कहे सीधे गांव पहुंच गया ।
वहाँ की हालत देख उसके आंसू आ गए ।
गांव में इतने साल से अभी तक पर्याप्त बिजली नही आई ।
स्कूल भी जर्जर हालत में है जहाँ कोई भी पढ़ने और पढ़ाने नही आता । गांव के ही लोग मजबूरी में थोड़ा कुछ पढ़ाते ।
बारिश के पानी को रोकने की कोई व्यवस्था नही ।
जिसके कारण गर्मी में सुखा होता फसलों को उचित मात्रा में पानी नही मिलता ।
यह सब देख रोहन को बहुत दुखः हुआ वो दीवाली कर अगले दिन ही आ गया शहर ।
उसने उसकी परेशानी को अपने दोस्तों को बताया ।
वो सभी विज्ञान गणित के विद्यार्थी है ।
कुछ दिन बाद उनको सब समस्या का समाधान मिल गया ।
अगले रविवार वो सब पहुंच गए गांव वहां का खूब अच्छे से जायजा लिया ।
वो अपने ज्ञान को साकार करने लगे ।
अपनी अपनी जेब खर्च को बचाने लगे खाली समय मे कुछ काम करते ।
बीच बीच में गांव भी जाते ।
एक साल बाद जब दुबारा दीवाली आई तब रोहन ओर उसके दोस्त अपने अपने माता पिता को जबरन गांव ले गए । इस बार चौकन्ने की बारी सभी के माता पिता की थी

गांव का काया कल्प हो गया है ।सड़के पक्की हो गई।
बिजली वही गांव में बनती ओर जितनी काम आती गांव के वो ले दूसरे गांव को कम कीमत पर देते ।
बारिश का पानी रोक बिजली बनती ।
खेती भी बहुत अच्छी होती गोबर की खाद के कारण ।
गांव के युवा ये सब काम देखते उनको रोजगार वहीं मिल गया ।
स्कूल सभी बच्चे जाते रात को बुजुर्गों का स्कूल चलता जिसमें युवा पीढ़ी रहती पढ़ाती ओर खेती का नया तरीका नेट से बताते ।
गांव के सरपंच ने उनको उनके बच्चों का हुनर बताया ये सब इन्ही लोगो ने किया कहे तो गांव को इन लोगो ने गोद ले लिया ।
इस गांव और बच्चों का नाम जिला कलेक्टर के पास सम्मान के लिए गया ।
सभी ने मिलकर खूब धूम धाम से दीवाली मनाई ।
सभी बोले ये “”कलयुगी राम”” है सभी ।।।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।