राजनीति

पुलवामा से लेकर एयर स्ट्राइक तक विपक्ष की विकृत और देशद्रोही राजनीति

पुलवामा की दुखद घटना से लेकर भारतीय सेना के शौर्य प्रदर्शन के बाद आगामी लोकसभा चुनावों के पहले जिस प्रकार की राजनीति हो रही है उससे देशभक्त व देशद्रोही ताकतों का भी विभाजन हो गया है। आतंकवाद व राष्ट्रीय सुरक्षा के सवालों पर कश्मीर से लेकर बंगाल और लखनऊ से लेकर कन्याकुमारी तक सभी देशविरोधी व मुस्लिम तुष्टीकरण से प्रेम करने वाले लोग पूरी तरह से बेनकाब हो चुके हैं। कोलकाता की सड़कों पर मोमबत्ती जलाने वाली और अभिनंदन को लेकर व्यग्र होने वाली ममता बनर्जी से लेकर उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती व सपा मुखिया अखिलेश यादव सहित तमाम विपक्ष के नेताओं का रंग सामने आ चुका है। बेहद सफल रही एयर स्ट्राइक के बाद यह विरोधी दल व नेता जिस प्रकार की राजनीति कर रहे हैं उससे पाकिस्तान में घुसकर बैठे आतंकवादी संगठन व उसके सरपरस्तों को ही मौका मिल रहा है तथा वहां पर लोग तालियां बजा रहे हैं।
जम्मू -कश्मीर में जब पहली बार हुर्रियत काफ्रेंस व जमात -ए- इस्लामी पर साीधी कार्रवाई शुरू की गयी तो पीडीपी नेता महबुूबा मुफ्ती का असली चेहरा बेनकाब हो चुका है। सबसे बड़ी बात असल में यह है कि पुलवामा की घटना और भारत की वायुसेना की कार्यवाही के बाद देश में राष्ट्रवाद की जो बयार बह रही है तथा पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में जिस प्रकार से इजाफा हुआ है तथा उसके बाद आयोजित की जा रही रैलियों में जिस प्रकार से मोदी लहर और मोदी- मोदी के नारे एक बार फिर जिस तेजी से सुनायी पड़ रहें है उससे इन दलों के नेताओं के चेहरे की हवाईयां उड़ रही है। अब देश के सभी टी वी चैनलों व पत्र -पत्रिकाओं में भी बाहुबली मोदी और भारतीय सेना के पराक्रम के ही चर्चे हो रहे हैं। जिसके कारण मोदी विरोधियों को एक बार फिर अपनी होने वाली संभावित पराजय दिखलायी पड़ रही है तथा वह भी बौखलाये पाकिस्तान की तरह बौखला गये हैं और भारतीय सेना व उसके शौर्य का सबूत मांग रहे हैं तथा देश की शहादतों व परिजनों के आंसुओं पर बेहद विकृत राजनीति कर रहे हैं।
टिवटर बाज कांग्रेसी नेताआंें को अपने वह दिन याद रखने चाहिये कि मुंबई में सीरियल बम धमाकों और 26/11 कीघटना के बाद कां्रेस व मनमोहन सिंह की सरकारों ने क्या किया था। आज की तारीख में यदि भारत विरोधी आतंकी संगठन वउसके सभी आका एवं दाऊद इब्राहीम जैसे लोग पाकिस्तान की जमीन पर बैठकर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला प्रोपेगंडा चला रहे हैं तथा भरत विरोधी साजिशों में लगे रहते हैं तो फिर उसके लिये कांग्रेस व महाविलावटी दलों के नेता ही सीधे रूप से जिम्मेदार है। आज इन सभी दलों की पैरों तले जमीन खिसक चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना के शौर्य व पराक्रम तथा एक सप्ताह के अंदर जिस प्रकार से पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी दिखलायी पड़ी है उससे लगता ह्रै कि महामिलावटी नेताओं के दिमाग ने भी काम करना पूरी तरह से बंद कर दिया है और अब वह पुलवमा की दुखद घटना को महज दुर्घटना बताने लग गये हैं। कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू से लेकर मध्यप्रदेेेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ, पी चिदम्बरम तथ अपने आप को सबसे बड़ा काबिल वकील बनाने वाले कपिल सिब्बल विदेशी मीडिया की आधी अधूरी रिपोर्टिंग के आधार पर बेहद विकृत मानसिकता वाली बयानबाजी कर रहे हैं जिससे देश का मनोबल गिर रहा है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आज देश में एक मजबूत सरकार है।
अब आज इन नेताओं के देशविरोधी बयानों से यह बात पूरी तरह से समझ मेें आ गयी है कि एक बार फिर अब मोदी सरकार ही वापस आने वाली हैं। देश में राष्ट्रवाद की बयार बह चली हैं। इन दलो के नेताओं ने सोचा था कि एयर स्ट्राइक के बाद आतंकियों की संख्या औेर सबूत मांगकर देश की जनता के बीच हीरो बन जायेंगे लेकिन आज उनकी इन हरकतों से पूरा देश अपने आपको बेहद शर्मसार अनुभव कर रहा है। आज कांग्रेस के नेता पूरी तरह से गददार घोषित किये जा रहे हैं तथा टीवी चैनलों की बहसों पर कांग्रेस के प्रवक्ता अब बहुत गहरे दबाव में आ गये हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातर अपने बयानों से कांग्रेस को शर्मसार करते रहे हैं। दिल्ली के बाटला एनकाउंटर से लेकर अफजल साहब और अब पुलवामा महज एक दुर्घटना है कहकर कांग्रेस को चुनावी मैदान से बाहर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। देश की जनता को यह तथ्य कदापि नहीं भूलना चाहिये कि कांग्रेस के ही कारण भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ था जिसके कारण अब वह महापाप ही उसके नेताओें के सिर चढ़कर बोल रहा है।
अब तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं पुलवामा की घटना को अंजाम देने के पीछे महाविलावटी नेताओं की ही साजिश हो सकती है वह इस खूनी खेल में पीएम मोदी व बीजेपी को आगामी चुनावांें में इस प्रकार के हादसों में फंसाना चाह रहे होे लेकिन अब यह खेल उल्टा पड़ चुका है। सबसे अधिक साजिश की सुई पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की ही ओर बार- बार घूम रही हैं। पुलवामा की घटना के बाद उन्होंने कहा कि इमरान खान को एक मौका देना चाहिये। फिर उसके बाद जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर एयर स्ट्राइक करी तो वह अब सबूत मांगने लग गयी हैं तथा जब कश्मीर घाटी में अलगाववादी नेताओं व जमात ए इस्लामी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही श्शुरू की गयी तब वह श्रीनगर में अलगाववादियों के समर्थन में धरना व प्रदर्शन करने लग गयीं तथा वह धारा 370 व 35-ए को हटाने के खिलाफ सर्वाधिक जहर उगलने वाले बयान दे रही है। अभी हाल ही में एयर इंडिया ने उड़ान के थोडी देर के बाद देश का मूड देखते हुए जयहिंद बोलने का आदेश दिया है उनको इस पर भी आपत्ति हो गयी है। आज देश भर के मोदी विरोधी नेता अब पूरी तरह से व पूरी ताकत के साथ देशद्रोह पर उतर आये हैं।
देश के जनमानस को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिये कि आज जो लोग सेना के शौर्य पर सबूत मांग रहे हैं यह वहीं लोग हैं जो याकूब मेनन को फांसी देने के विरोधी थे। यह वही लोग हैं जिन्होंने देशभर में हम लेकर रहेंगे अजादी के नारे लगवाकर देश का सामाजिक वातावरण खराब करने की पूरी कोशिश की थी। यह वही लोग हैं जो समय- समय पर हिंदू देवी देवताओं की अश्लील पेटिंग्स लगवाकर माहौल खराब करने की साजिशें रचते रहते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर तथा देश के अल्पसंख्यकों के मन में डर का माहौल पैदा करके पुरस्कार वापसी का अभियान चलाते हैं। आज देश के महामिलावटी नेता पूरी तरह से देश के सामने नंगे हो चुके हैं। लाख प्रयासों के बाद भी नहीं लग रहा है कि महाविलावट सत्ता में आ रही है तथा यदि यह लोग गलती से सत्ता में आ गये तो देश का क्या हाल होगा सभी ने देख लिया है। ऐसे विकृत बयान देकर यह लोग सोच रहे थे कि हम सभी मोदी सरकार को बुरी तरह से घेरने में सफल हो जायेंगे, लेकिन अब यह लोग घेरे में आ चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिस प्रकर से पुलवामा की महाघटना को महज दुर्घटना बता दिया हे यहसेना का घोर अपमान है तथा शहीदों की शहादत का भी घोर अपमान हुआ है आज उनकी आत्मा को कितनी पीड़ा हो रही होगी यह वहीं लोग जानते होंगे। आज देश की वह सभी विधवा महिलायें एक बार फिर चीखी होंगी जिन्होंने दिग्विजय सिंह का यह बयान सुना होगा। आज वह बालक फिर रो रहा होगा जो इन नेताओं के बयान सुन रहा होगा जिसने अपने पिता को शहादत से खोया। अभी देश के यह सभी तथाकथित नेता शहीद नहीं हुए हैं। इनके परिवार की महिलायें विधवा नहीं हुई हैं जिसके कारण इर लोगों की अभिव्यक्ति की घिनौनी आवाज मुंह से बाहर निकल रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह सारी बयानबाजी श्रीमती सोनिया गांधी के दिशा निर्देशों के अनुरूप हो रही है क्योंकि कभी उन्होंने पीएम मोदी को मौत का सौदागर कहा था।
दिग्विजय सिंह को अब यह बात भी माननी होगी कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और इंदिरा गांधी की हत्या की साजिशें कांग्रेस के अंदर ही रची गयीं थीं या फिर वह भी महज दुर्घटना थी। कंाग्रेस को अब यह जवाब देना होगा कि जब पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में 90 हजार जवानों का आत्मसमर्पण हुआ था क्या वह भी नकली था? अब दिग्गी राजा ही नहीं पूरी कांग्रेस पार्टी को जवाब देना होगा क्योंकि वह अब पूरी तरह से बेनकाब हो चुकी है। कांग्रेस पार्टी को अब यह भी सबूत देना होगा कि क्या वास्तव में अफजल गुरू और कसाब को फांसी दी गयी थी ? अगर राहुल गांधी वास्तव में देश के पीएम बननना चाहते हैं तो उन्हें कुछ अपने दम पर सीखना होगा नहीं तो पार्टी केे नेता ही उनका सपना ध्वस्त कर देंगे। जिसकी शुरूआत हो चुकी है।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान बाबा रामदेव का साफ कहना है कि देशद्रोही बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिये। अब आम जनमानस को भी आगे आकर आने वाले लोकसभा चुनावों में सेना के पराक्रम पर सबूत मांगने वाले नेताओं का हुक्का -पानी बंद कर देना चाहिये।

मृत्युंजय दीक्षित