कविता

आ रहा हूँ मैं

कह दो मंजिलो को आ रहा हूँ मैं,
मेरे कदम रूके नही है, न सो रहा हूँ मैं।
रास्तों का पता है मुझे, भटका नहीं हूँ मैं।
हौसलें बुलंद है मेरे, अटका नहीं हूँ मैं।
विश्वास हमारा बुलंद है, डरा नहीं हूँ मैं।
कोशिशे जारी है मेरी, खड़ा नहीं हूँ मैं।
ईश्वर का आशीर्वाद लिया हूँ,
तन्हा और लाचार नहीं हूँ मैं।
हर मुश्किलों को तोड़ने का शपथ लिया हूँ मैं,
शपथ तोड़ने का इरादा नहीं किया हूँ मैं।
जीतकर दिखलाने का इरादा किया हूँ मैं,
पीठ दिखाने का इरादा नहीं किया हूँ मैं ”
आ रहा हूँ मैं। आ रहा हूँ मै।
— मृदुल