कविता

यादों के पल

जिंदगी के बीते कुछ पल बन जाते हैं यादें
जिंदगी के गुजरे पल बन जाते हैं यादें ।
वो यादें यादों के खजानों से निकल कर आते हैं
वो यादें जीवन की बेकरारी बन जाते हैं ।
गीली मिट्टी की सौंधी खुशबू से महक जाते हैं यादें
जैसे पत्तों पेओस की बूँद ढुलक जाते है यादें ।
वो यादें सावन की पहली बारिश बन जाते हैं
आखोँ से अश्क टपक टपक के छलक जाते हैं यादें ।
कभी वो यादें वक्त की कसौटी पे खरे उतर जाते हैं
कभी वो यादें यादगार बन के रह जाते हैं ।
कभी अश्क छलक कर नम आखोँ का जल बन जाते हैं
कभी वो अश्क पल पल दिल का दर्द बन जाते हैं ।
कभी वो शब्दों का खेल बन जाते हैं
कभी कलम के फूल तो कभी अंगारे बन जाते हैं ।
मीठी मीठी बातों पर चुप के सौ पहरे बन जाते हैं वो यादें
फिर रूह को छुकर बिन कुछ कहे गुजर जाते हैं वो यादें ।
— मृदुल