गीतिका/ग़ज़ल

तुम नहीं आए

वक्त ने लम्हें सजाए, तुम नहीं आए।
ढल गये रातों के साये, तुम नहीं आए।
कदमों की आहटों पे, दिल हो रहा बेदार,
धड़कन ने दीं सदाएं, तुम नहीं आए।
कुछ ख़्वाहिशें अधूरी, पड़ी हैं तुम्हारे पास,
रहे डूब हसरतों के साए, तुम नहीं आए।
अनकहे जज़्बात का, जारी है सिलसिला,
अल्फाज़ लड़खड़ाए, तुम नहीं आए।
याद आते हो बहुत, लेकिन नहीं आते,
अश्क आंखों ने बहाये तुम नहीं आए
— पुष्पा “अवस्थी”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है