गीतिका/ग़ज़ल

हौसला है मंज़िलों का रास्ता मालूम है…

हौसला है मंजिलों का रास्ता मालूम है
इसलिये तो ज़िन्दगी का फलसफ़ा मालूम है

और कुछ मालूम चाहे हो नही हो पर हमें
ज़िन्दगी का हर ज़रूरी कायदा मालूम है

ये अलग हैं बात उसने होट खोले ही नही
पर नज़र से जो कहा क्या क्या कहा मालूम है

ये चढ़ा इक बार तो मुश्किल उतरना है बहुत
हाँ निगाहे जाम का मुझको नशा मालूम है

जुर्म दुनिया से छुपा सकते हो तुम लेकिन उसे
कब करी किसने करी कितनी ख़ता मालूम है

मुद्दतों से लड़ रहे हैं नाम पर नादान हम
जबकि सबको एक ही हैं, रब ख़ुदा मालूम है

जो तुले हैं दूर करने पर उसे शायद उन्हें
दर्द की मेरे वही है इक दवा मालूम है

सतीश बंसल
१४.०८.२०१९

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.