कविता

कविता

मेरी अंतरात्मा में यह कैसी खनक है यह कौन है मेरे दिल में
जिसके ना आने की भनक है ।
कैसे हुआ प्रविष्ट!
किस द्वार से?
कब?
पर द्वार तो सब बंद किए थे मैंने स्वयं भावनाओं के ..
और ओढी थी चादर
निष्ठुरता की
फिर कैसी है कोमल जलधारा!
निकलती हुई..
निष्ठुर कठोर पर्वत से मानो
कैसे संभव हो सका ये,
जो था असंभव!
क्या समाप्त हो चुकी है?
अपने आप को धोखा
देने की सदी..
क्या कोई नई ऋतु है ये?
क्या वो ऋतु
जब ह्रदयों पर अवलंबन
समाप्त हो जाता है स्वयं का..
जब तोड़कर अपनी सीमाएं मिल जाती हैं नदियाँ
सागर में।।

— अंजू अग्रवाल

अंजू अग्रवाल

पति - अजय नाथ माता का नाम। - मनोरमा देवी जन्मतिथि - 29.12.1968 शिक्षा - एम. कॉम., एम.एड., एम.ए.(हिन्दी), एल.एल. वी.,यू.जी.सी. नेट व्यवसाय - शिक्षण साहित्य सेवा - कहानी, लघु कथा, कविता आलोचना आदि लेखन में सक्रिय अजमेर लेखिका मंच की सदस्य लेखन की विधा - लेख, कहानी, कविता आलोचना आदि साहित्य सेवा आपके लिये क्या है- स्वयं से वार्तालाप पसंदीदा साहित्यकार- मुंशी प्रेमचन्द पता- 7,गुलाब बाड़ी एन्क्लेव श्रीनाथ विवाह स्थल के पीछे,गुलाब बाड़ी अजमेर(राजस्थान)305007 ईमेल- tajanju@gmail.com