कविता

कविता

जब से मन के कोमल परतों को
प्रेम की गुलाबी पंखुरियों ने
स्पर्श किया है

एहसासों की मनमोहक हवाएं
हृदय को छूकर रोम -रोम में
बहने लगी है

शिराएं खुलने लगी है एक -एक कर
मन की इच्छाओं की

एक उजास प्रेम का
प्रस्फुटित होने लगा है मन के संसार में
भाव पलने लगे दिल में
आहिस्ता-आहिस्ता साथ छूटता जा रहा
मेरा खुद से
कोई बसने लगा है मुझमे

परिक्रमा करने लगा है मन
प्रेमसिक्त यादों का
अनवरत…..
बढ़ती ही जा रही घूर्णन गति से
अथाह सच को समेटे

कि एकदिन पूरी होगी
प्रेम चक्र की क्रियाएं…..

— बबली सिन्हा

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- bablisinha911@gmail.com