कविता

दिल तो तुम्हारा मेरे पास है

हमारे ब्लॉग पर एक नए कवि कृष्ण सिंगला की पहली रचना

तुम्हें पाके मैंने क्या कहूं क्या पा लिया है, जमीं के साथ आसमां भी पा लिया है,
ख़्वाबों में तू है, ख्यालों में तू है, जिधर देखता हूँ, उधर तू ही तू है।
बहुत प्यार करता हूँ तुमसे, मर जाऊं अगर झूठ बोलूं,
तुम्हीं से आबाद है मेरी दुनिया, तुम्हीं मेरे दिल की धड़कन,
मेरी ज़िन्दगी की रवानी, अपने ही हाथों से मिटा दूँ, मैं अपनी यह ज़िंदगानी।
तुम्हीं मेरे दिल की मल्लिका, तुम्हीं मेरे सपनों की रानी,
मेरे प्यार की है तू अनमिट कहानी ।
बहुत रोता हूँ तुम्हें याद करके, इस कम्बख्त दिल ने मेरी कभी न मानी।
है तेरा मुखड़ा जैसे नूरानी, खुदा की है रहमत खुदा की ही मेहरबानी,
तेरी तस्वीर मेरे दिल में बसी है, गर्दन झुकाऊं और देख लूँ,
तेरा भोला-सा चेहरा, बड़ा ही लासानी
कोयल से मीठी है तेरी बोली, जैसे किसी ने मिश्री है घोली,
जब तू हँसे-मुस्कराये, ऐसा लगे जैसे बिजलियाँ गिराए,
संभल ऐ दिल कर न बैठे कोई नादानी।
जब तू चले तेरी पाजेब छनके तेरी मुहब्बत पे कुर्बान मेरा सब कुछ,
बज उठे साथ घुँघरू के मनके, बार-बार सिजदा करूँ, तेरी पूजा करूँ, सर नवाऊँ।
न ही कोई मुकाबिल न ही कोई सानी।
झुकी-झुकी सी पलकें तेरी, बहुत कुछ कह रही हैं,
मुझको है तुम से मुहब्बत, जुबाँ से यह कह नहीं सकता,
दिल की पीड़ा मन में ही पल रही है,
पता है मुझे, है तू भी मेरे प्यार की दीवानी ।
इक दिन मेरी ज़िन्दगी से चली जायेगी, रोयेंगी आँखें दिल को तड़पाएंगी
मगर लौटके तू नहीं आएगी, तुम्हीं से मेरी मुहब्बत जवां थी,
ज़िन्दगी में कभी जरूरत पड़े जो मेरी, एक आवाज देना चला आऊंगा,
यह झूठा वादा नहीं है, देख लेना कभी, अगर बात हो आजमानी।
चली जाना मगर दिल तो तुम्हारा मेरे पास है, मेरे लिए यह बहुत ख़ास है।
है यह अमानत तेरी, मेरे लिए तेरे प्यार की निशानी।
तुम्हीं से मेरी मुहब्बत जवां थी, तू थी साथ मेरे जिंदगी खुशनुमा थी,
चली जाना मगर दिल तो तुम्हारा मेरे पास है रखा है,
इसे मैंने अपने दिल में बसा रखा है ।
-कृष्ण सिंगला

हमारे ब्लॉग पर प्रस्तुत है एक नए कवि कृष्ण सिंगला की पहली रचना- ‘दिल तो तुम्हारा मेरे पास है’. शीर्षक से ही आप जान गए होंगे, कि यह कविता श्रंगार रस की कविता है. श्रंगार रस की बहुत-सी कविताएं हमने पढ़ी और सराही हैं, लेकिन वियोग श्रंगार की इतनी अनुपम, अप्रतिम, नायाब कविता हमारे सामने बहुत समय के बाद आई है. बहरहाल अपने ब्लॉग पर कविवर कृष्ण सिंगला का हार्दिक स्वागत करते हुए उनको कोटिशः शुभकामनाएं देते हुए हम उनकी लेखनी से निःसृत इस कविता का रसपान करते हैं. शेष कामेंट्स में हमारी-आपकी कलम से.

कवि कृष्ण सिंगला से हमारा परिचय करवाने के लिए ब्लॉगर भाई रविंदर सूदन का बहुत-बहुत शुक्रिया. इससे पहले भी वे डॉक्टर इला सांगा की प्रतिभा के दर्शन करवा चुके हैं. आगे भी इसी तरह अगर हमारे सामने कोई प्रतिभा आती है, तो हम उन्हें अवश्य मंच और मौका देंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “दिल तो तुम्हारा मेरे पास है

  • लीला तिवानी

    प्रिय कृष्ण सिंगला भाई जी, वियोग श्रंगार की इतनी बेहतरीन कविता ‘दिल तो तुम्हारा मेरे पास है’ ने हमारा दिल छू लिया. इस हृदयग्राही कविता के लिए अगर कहा जाए, कि यह मानवीय संवेदना की अनुपम कृति है, तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. यह भी कहा जा सकता है, कि इस कविता में कवि ने अपना कलेजा निकालकर रख दिया है. भाषा सरल होते हुए भी साहित्यिक है. एक ही पंक्ति उर्दू का शब्द ‘मुकाबिल’ और हिंदी का शब्द ‘सानी’ आपके चरमकोटि के भाषा-ज्ञान के दर्शन कराता है. आशा है आगे भी इसी प्रकार की उत्तम रचनाओं के साथ आपकी अनुपम लेखनी के दर्शन होते रहेंगे.

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