बाल कविता

बालगीत- मैं हूँ तितली रानी

मैं हूँ तितली रानी-मैं हूँ तितली रानी.

बहुत ध्यान से बच्चे सुनते, मेरी मधुर कहानी.

बगिया-बगिया जाती हूँ.
फूलों पर मंडराती हूँ.
इठलाती-बलखाती हूँ.
अनगिन खेल दिखाती हूँ.
मुझे देखकर बच्चे दौड़ें, छोड़ें खाना-पानी.
मैं हूँ तितली रानी-मैं हूँ तितली रानी.

लाल-गुलाबी-नीले हैं.
हरे-बैगनी-पीले हैं.
कितने रंग-रँगीले हैं.
मेरे पंख सजीले हैं.
इन पंखों पर उड़कर मैंने, सारी दुनिया जानी.
मैं हूँ तितली रानी-मैं हूँ तितली रानी.

बहुत दूर है मेरा घर.
चंदा-तारों भरा नगर.
जहाँ बसें परियाँ सुन्दर.
जो नाचें-गायें दिन भर.
उसको साथ घुमाऊँगी जो, करे नहीं शैतानी.
मैं हूँ तितली रानी-मैं हूँ तितली रानी.

— डॉ. कमलेश द्विवेदी