ग़ज़ल
साथ अपने तू यहां से और क्या ले जाएगा
दूसरों से जो मिली होगी दुआ ले जाएगा
अपनी हस्ती पे न कर इतना गुरूर बेवजह
वक्त तिनके की तरह तुझको उड़ा ले जाएगा
किसी आँख में तेरी वजह से आया जो आँसू कोई
साथ अपने तेरी सब नेकी बहा ले जाएगा
मारा जाएगा भले ताकत हो उसमें कितनी भी
जब किसी सीता को कोई रावण उठा ले जाएगा
मजबूरियों का बोझ उठाए चल पड़ा तो हूँ
देखते हैं अब कहाँ ये रास्ता ले जाएगा
पहुंचा न पाएगी जहां किस्मत तेरी तुझको ‘भरत’
उस जगह तक तुझको तेरा हौसला ले जाएगा
— भरत मल्होत्रा