शिशुगीत

लोरी

चंदा के झूले पर चढ़कर , वही निंदिया फिर आयेगी
सपनों के देश में अभी ही , हिंडोले वही झुलायेगी …..

चाँदी की कटोरी में सुनो , खाना तुझको खिलायेगी
फूलों की शय्या पर तुझको , बिटिया अब तो सुलायेगी
परियाँ मिल कर सारी ही तो , तुझे नाच भी दिखायेंगी …..
सपनों के देश में अभी ही , हिंडोले वही झुलायेगी …..

नये – नये मिलेंगे खिलौने , मिलें दृश्य बड़े ही प्यारे
राज्य प्यारा है परियों का , लोग भी हैं न्यारे – न्यारे
गोदी में झूलेगी तू जो , आँखों में नींद आयेगी …..
सपनों के देश में अभी ही , हिंडोले वही झुलायेगी …..
चंदा के झूले पर चढ़कर , वही सिंधिया फिर आयेगी …..

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’