गीत/नवगीत

शौर्य की प्रतिमा

शौर्य की प्रतिमा तुम्हें, है मेरा शत-शत नमन।
देह को अमरत्व दे, बौना किया तुमने गगन।।
छोड़ कर  घर  द्वार, रत सीमा  सुरक्षा में रहे
राम सा  ग्रह त्याग,जीवन  की परीक्षा  में रहे
सर्दी गर्मी  बारिशें, करते रहे  नितदिन सहन
यूँ सभी कर्तव्य को  उनने किया हँसके वहन
शौर्य की प्रतिमा तुम्हें, है मेरा शत- शत नमन
देह को  अमरत्व दे, बौना  किया तुमने गगन
पाक हो या चीन, जब भी शक्ति के मद में लड़े
जान की परवाह बिन, तुम तो हिमगिरि से खड़े
काट  उनके शीश रण-वेदी पे किये तुमने हवन
यूँ भागने  बेबस हुए  उर में जगी  उनके कपन
शौर्य की प्रतिमा तुम्हें, है मेरा  शत- शत नमन
देह  को अमरत्व दे, बौना  किया  तुमने गगन
कट गये इंचों में  पर मुँह से न उफ्फ  तक करी
देखकर मृत देह, अरि दल की खड़ी फौजें डरी
शौर्य ऐसा  ओह! दुश्मन भी करे  तुमको नमन
माँ भारती के लाल तुम पे वार दूँ तन और मन
शौर्य की प्रतिमा -तुम्हें, है मेरा शत- शत नमन
देह को अमरत्व दे, बौना  किया  तुमने  गगन
प्यार पत्नी का, बहन की राखी भी कुर्बान कर दी
माँ की ममता राष्ट्र हित मे राष्ट्र को ही दान कर दी
फिर मिटाया  स्वयं  को, कर्तव्य को  करने  वहन
और  फिर उऋण हो किया स्वर्ग को तुमने गमन
शौर्य  की  प्रतिमा  तुम्हें, है मेरा  शत- शत  नमन
देह   को  अमरत्व  दे, बौना  किया  तुमने  गगन
हम रहे खुश इसलिए खो दिया सर्वस्व अपना
तुमने खुद के वास्ते देखा नहीं कोई भी सपना
ओढ़ा  जब  तुमने  तिरंगा तो  भींगे  मेरे नयन
गूँजेगा यशगान तेरा  जब तलक  भू पर वतन
शौर्य की प्रतिमा तुम्हें, है मेरा शत- शत नमन
देह को  अमरत्व दे, बौना किया  तुमने गगन
तुम से होली और दीवाली ईद की मुस्कान तुमसे
विश्व मे सबसे अलग इक़ शौर्य वाली शान तुमसे
तुमसे  ही  तो  होता  है  गुलाजर अपना ये चमन
तुम हो  इतने  वंदनीय  करे देव भी तुमसे जलन
शौर्य की  प्रतिमा तुम्हें, है मेरा  शत- शत नमन
देह को  अमरत्व  दे  बौना  किया  तुमने गगन
— ऋषभ तोमर

ऋषभ तोमर

अम्बाह मुरैना