प्रेम को हम नहीं, प्रेम हमें चुनता है
जब भी सोचने बैठता हूँ या कल्पनाओं के समंदर में गोते लगाने के लिये सुबह आँख बंद करता हूँ या
Read Moreजब भी सोचने बैठता हूँ या कल्पनाओं के समंदर में गोते लगाने के लिये सुबह आँख बंद करता हूँ या
Read Moreअगर कोई मुझसे कहे प्रेम क्या है? तो निसंदेह मेरे पास कोई कोई उत्तर नही होगा लेकिन मैं उससे इतना
Read Moreफर्ज मोहब्बत का दिल से निभाने के लिए आ हँसने लगा हूँ अब मुझको रुलाने के लिये आ बहुत नुकशान
Read Moreजिंदगी जिंदगी नही मेरी मगर तुम्हें क्यो मलाल दूँ खुश रहो मैं भी खुश हूँ बोल कुछ लम्हें खुशहाल दूँ
Read Moreधरती से लेकर अम्बर तक नारी की ही माया है देव दनुज मानव दानव सब नारी की ही छाया है
Read Moreशौर्य की प्रतिमा तुम्हें, है मेरा शत-शत नमन। देह को अमरत्व दे, बौना किया तुमने गगन।। छोड़ कर घर द्वार,
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