भाषा-साहित्य

बारुदीय शब्दों के हिंदी संपादक

28 अगस्त ! उस शख़्सियत की जन्म-जयंती है, जिसे ‘राजेन्द्र यादव’  कहा जाता है, जिनके निधन हुए 7 साल हो गए, किन्तु बौद्धिक हॉरर वह अबतक बने हुए हैं । उनकी काफी रचनाएँ हैं, यहाँ तक की उन्होंने अपनी संतान का नाम ‘रचना’ ही रखा !

राजेन्द्र यादव से कईबार मुलाकातें हुई हैं, एक बार तो 3 घंटे तक बातचीत चली, वो तो वीना ‘दी ने उन्हें समय से अवगत कराई । वे जिंदादिल और मजेदार व्यक्ति थे ! उनकी पहचान नई कहानी के कथाकार-त्रयी के रूप में हैं, किन्तु मुख्य पहचान ‘हंस’ के पुनर्प्रकाशन से बना है । ‘हंस’ में उनकी सम्पादकीय ऐसी तथ्यान्वेषण लिए होती थी/हैं, जो शाब्दिक-बारूद से कतई कम नहीं था । ‘हंस’ के दो भिन्न अंकों में मेरे दो वृहद आलेख प्रकाशित हुए हैं, जो राजेन्द्र सर के संपादकत्व में प्रकाशित हुई थी।

कहना अप्रासंगिक नहीं होगा, ‘हंस’ भी उस आलेख से और भी पहचाने गए थे! उनकी ज़िद ने मेरे आलेख को छापा था, वरन उनके मंडल तो तैयार नहीं थे!

श्रद्धेय राजेन्द्र यादव से कई बार पत्राचार हुआ है, उनके कई पत्र मुझे और मेरी बहन को प्राप्त है। उनके निधन के बाद भी ‘हंस’ उनकी एकमात्र संतान ‘रचना’ के प्रकाशनाधीन अनवरत छप रही हैं, किन्तु श्री संजय सहाय के सम्पादकीयता में वो मज़ा कहाँ, जो यादव जी की लेखन-कारीगरी में थी !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.