कविता

हिंदी भाषा

हिंदी भारत की पहचान है
जिसे बोलता सारा जहान है|
राष्ट्र की यह शान है
बड़ा ही स्पष्ट इसका ज्ञान है||

वाणी में मिठास है
सबके प्रति जज्बात है|
दुख भी यह दर्शाती है
और संस्कारों में भी महान है||

इसमें पारिशुद्ध प्रेम है
ना छल कपट का वास है|
निर्मल सिं वह बोली है
जो करती सबका उद्धार है||

नारे भी यह गाती है
राष्ट्रीय गीत गुनगुनाती है|
जो सबके मन को भा जाए
वह कला इसे आती है||

यह इतिहास भी रचाती है
वीरों की गाथा भी सुनाती है|
जो शहीद हुए इस भूमि पर
उसे महान दर्जा भी दिलाती है||

— रमिला राजपुरोहित

रमिला राजपुरोहित

रमीला कन्हैयालाल राजपुरोहित बी.ए. छात्रा उम्र-22 गोवा