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आओ करे स्वागत शरद ऋतु का

सभी ऋतुओं का अपना अपना महत्व है और सभी महत्वपूर्ण हैं. जितनी जरूरी ग्रीष्म ऋतु है उतनी ही जरूरी हैं वर्षा और जाड़े की ऋतुएं भी.
गर्मी में सारी पृथ्वी सूख कर बंजर हो जाती है तो वर्षा ही उसे अपने जल से सींच कर हरा भरा करती है और सर्दी की ऋतु पतझड़ हुए पेड़ पौधों को नव पल्लवित करती है, जीवन में एक उल्लास पैदा करती है.
लेकिन मुझे सब ऋतुओं में जाड़े की ऋतु पसंद है. इस ऋतु में जीवन जीने का आंनद ही कुछ और है. इस ऋतु में आप कुछ भी खाओ पियो सब पच जाता है. स्वास्थ की दृष्टि से भी लाभदायक ऋतु है. घूमने में खूब आनंद रहता है.
सजने संवारने का भी खूब मौका मिलता है. सूट पहनो चाहे जैकट पहनो या फिर स्वेटर पहनो हाफ स्लीप या फुल स्लीप, टाई लगाकर साहब बन कर घूमो फिरो.विविध गेटअप बनाओ अपने.कंटोपा लगाकर खुद टोपा बन जाओ,
मंकी कैप लगाकर मंकी बन जाओ. मतलब जो चाहो वो ओंढो पहनो. रखी हुई फटी बनियान इस्तेमाल में ले लो. कालर फटी कमीज़ का इस्तेमाल कर लो. बिना बाजू वाली हो या पूरी बाजू वाली कमीज़ किसी पर भी कोट पहन लो.
कहने का तात्पर्य सर्द ऋतु में कुछ भी पहनो खाओ सब का आनंद है.
सूट बूट पहन कर गुनगुनाओ

साला मैं तो साहब बन गया
अरे साला मैं तो साहब बन गया
साहब बन के कैसा तन गया
ये सूट मेरा देखो ये बूट मेरा देखो
जैसा गोरा कोई लंदन का
आओ शरद तुम्हारा स्वागत है

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020