कविता

/ विवेचना /

नहीं हूँ मैं
किसी जाति या धर्म दंभी,
मानता हूँ गुरू को
सिर झुकाकर वंदना
दिल से करता हूँ
धन – दौलत व संपत्ति का
नहीं हूँ मैं दंभी,
अहं का अट्टहास नहीं
गुरू को श्रेष्ठ मानकर
चरणों को छूता हूँ
नहीं हूँ मैं
कभी भी विद्या दंभी
पोथी पढ़ी – पढ़ी
जग का पंडित नहीं
समनता के धरातल पर
मनुष्य को मानता हूँ
निज धर्म के विकास में
बुद्ध वचन स्वीकारता हूँ
विचारों की दुनिया में
लोकमंगलकारी भावना
हर कदम पर स्मरण लेता हूँ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।