कवितापद्य साहित्य

समान सवैया “अनुत्तरित प्रश्न”

समान सवैया “अनुत्तरित प्रश्न”

जो भी विषय रखो तुम आगे, प्रश्न सभी के मन में मेरे।
प्रश्न अधूरे रह जाते हैं, उत्तर थोड़े प्रश्न घनेरे।।
रह रह करके प्रश्न अनेकों, मन में हरदम आते रहते।
नहीं सूझते उत्तर उनके, बनता नहीं किसी से कहते।।

झूठ, कपट ले कर के कोई, जग में जन्म नहीं लेता है।
दिया राम का सब कुछ तो फिर, राम यही क्या सब देता है?
दूर सदा हम दुख से भागें, रहना सुख में हरदम चाहें।
हत्या कर जीवों की फिर क्यों, लेते उनकी दारुण आहें?

‘साँच बरोबर तप’ को हम सब, बचपन से ही रटते आये।
बात बात में क्यों फिर हमको, झूठ बोलना निशदिन भाये?
ओरों से अपमानित हम हों, घूँट लहू के आये पीते।
अबलों, दुखियों की फिर हम क्यों, रोज उपेक्षा करके जीते?

सन्तानों से हम सब चाहें, आज्ञा सब हमरी वे माने।
मात पिता बूढ़े जब होते, बोझ समझ क्यों देते ताने?
मान मिले हमको सब से ही, चाहत मन में सदा रही है।
करते रहें निरादर सबका, क्या हमरी ये नीत सही है?

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)