कविता

धरा के भगवान

नीयत अगर अच्छी है तो
आप एक सच्चे इन्सान हैं
नीयत अगर सच्ची है तो
आप धरा पर  भगवान हैं

सूरत अगर अच्छी है तो
आप एक सुन्दर इन्सान हैं
सीरत अगर सच्ची है   तो
आप धरा पर भगवान हैं

सोंच अगर अच्छी है तो
आप एक अच्छे झ्न्सान हैं
सोंच अगर सच्ची है तो
आप धरा पर भगवान हैं

विचार अगर अच्छी है तो
आप सच में विचारवान हैं
विचार अगर नेक है तो
आप धरा पर भगवान हैं

ईमान अगर अच्छी है तो
आप एक ईमानदार हैं
ईमान अगर सच्ची है तो
आप धरा पर भगवान हैं

गुण अगर अच्छी है तो
आप एक गुणवाण हैं
गुण अगर सच्ची है तो
आप धरा पर भगवान हैं

ज्ञान अगर अच्छी है तो
आप एक ज्ञानवान हैं
ज्ञान अगर सच्ची है तो
आप धरा पर भगवान हैं

नजर आपकी अच्छी है तो
आप सबके मेहमान हैं
नजर आपकी सच्ची है तो
आप धरा के भगवान हैं

— उदय किशाेर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088

One thought on “धरा के भगवान

  • *लीला तिवानी

    उदय भाई, बहुत अच्छी कविता के लिए बधाई. बस सोंच को सोच कर लीजिए.
    ज्ञान अगर अच्छी है तो
    आप एक ज्ञानवान हैं
    ज्ञान अगर सच्ची है तो
    आप धरा पर भगवान हैं
    हमारे विचार से इस पैरा में अच्छी को अच्छा कर दें, तो बेहतर रहेगा. इसी तरह विचार, ईमान, गुण में भी होगा. गुणवाण को गुणवान कर दें, तो बेहतर होगा.

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