कविता

अनेकता में एकता

बहुरंगी फूलों का गुलदस्ता
अनेकता में बहे एकता
हिंद की शान धर्मनिरपेक्षता।
गंगा जमुनी तहजीब यहां
बहुरंगी प्रदेश यहां
उत्तर से दक्षिण तक
पूरब से पश्चिम तक
विविधता ही विविधता
फिर भी बसती एकता ।
विभिन्न धर्म, विभिन्न भाषाएं
विभिन्न बोलियां और संस्कृतियां
ऊँच नीच की बात नहीं है
जाति धर्म का भेद नहीं है
रुप रंग पहचान नहीं है
हम हिंदुस्तानी हैं शान यही है।
अद्भुत अजब निराला है
जनमन का यह प्यारा है
सभी धर्मों का मान यहां
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
सबकी अपनी पहचान यहां।
प्रेम प्यार से रहते है
मिलजुल कर सब जीते हैं,
दुख सुख मिलकर सभी बाँटते
भाईचारे का गीत हैं गाते।
सब धर्मों का मान यहां है
जन जन का सम्मान यहां है
लहराते शान से सभी तिरंगा
सबके मन में बसती गंगा,
मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारे
सबको लगते प्यारे प्यारे हैं।
लाख विविधता फिर भी एकता
प्रतीक हमारा धर्म निरपेक्षता
हम सब मिलकर गाते हैं
अभिमान हमारा भारत है
इसमें विविध एकता है
अनेकता में एकता है
भारत के अंतस में बसता
सबूत धर्मनिरपेक्षता है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921