गीतिका/ग़ज़ल

सब्र रख ए जिन्दगी

सब्र रख ए जिन्दगी दर्द में तेरे कभी तो कमी आएगी
मत बहा इतने आंसू ये नमी भी कभी तो सूख जाएगी
किसके लिए आज यादों को दिल में जिंदा रखा तूने
वो बेवफा था भूल जा उसे वरना तुझे तड़प सताएगी।।
निकल घर से मिल इस दुनिया से तू अकसर जिन्दगी
इस दुनिया से ही तू अपने दर्द का मरहम सच पाएगी।।
मिल संग दो लोगों से बतियाने लगेगी जब तू जिन्दगी
वेदना धीरे-धीरे ही सही पर तू सच सब भूल जाएगी।।
अपना पन ही मिलता अकसर जमाने से सुन जिन्दगी
ये पराए अपनों से होते बेहतर जल्द समझ मुस्काएगी।।
मुस्कुराना आ जाएगा जिस दिन तुझे फिर से वीना
वीणा के तारों में झंकार कि साज पाकर गुनगुनाएगी।।
सब्र रख ए जिन्दगी दर्द में तेरे कभी तो कमी आएगी
मत बहा इतने आंसू ये नमी भी कभी तो सूख जाएगी।।2।।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित