कविता

उम्र

उम्र ने बुढ़ापे को डराया
अब तुम मेरे जाल में हो
जब चाहूँ मैं तेरा खाता बंद कर दूंगा
बुढापे ने बोला ये धमकी मुझे न देना
तुमको पता नहीं मैं पल पल जिया हूँ
जीवन का आनंद पल पल लिया हूँ
मैंने तो तेरे दिए अपने सारे उम्र जीने का आशीर्वाद
अपने बच्चों सब को दे दिया हूँ
मेरा खाता तू क्या बंद करेगा
मेरे बच्चें उस खाते का इस्तेमाल करेगा।
ऐ उम्र सुन, उम्र कभी खत्म न होती है
मर के अमर जो होते है जिनके याद में दुनिया रोती है
ऐसे अमर लोगों की उम्र खत्म करके बता,
ये उम्र का खाता बंद करने की धमकी से किसी और को सता।
— मृदुल