लघुकथा

विकल्प

“अपने वार्ड से तीन उम्मीदवार खड़े हैं पंचायत समिति के सदस्य के लिए।” पति ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा।
“अच्छा, तब तो मुकाबला भी शानदार होगा!”पत्नी ने कहा।
“बिल्कुल, सभी कर्मठ, ईमानदार, शिक्षित और समाजसेवी जो हैं!” पति ने चुटकी लेते हुए कहा।
पत्नी कुछ कहती इसके पहले ही तीन  हैंड बिल उसके हाथों में देते हुए पति ने कहा, “मिस्टर अ एक आदिवासी पहाड़िया औरत के साथ छेड़खानी करने के अपराध में जेल की हवा खा चुका है। मिस्टर ब निवर्तमान सदस्य है जो पिछले पाँच सालों में लाखों कमाया है। जरूरतमंदों को सरकारी मदद दिलाने में, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने में बड़ी रकम कमीशन में खाया है। उसने भी अपने को ईमानदार घोषित किया है।”
“और मिस्टर स?”
” मिस्टर स की भी कहानी है।उसके चाचा की जन- वितरण प्रणाली की दुकान है। और उसकी ईमानदारी जगजाहिर है!
बीस किलो की जगह सत्रह किलो अनाज देता है कमीना।” पति ने गुस्सा जाहिर किया।
 “तब जनता किसे वोट देगी?” पत्नी ने पूछा।
“जनता के पास विकल्प कहाँ है? छद्मवेशी ईमानदारों का जमाना है!” पति ने कहा।
— निर्मल कुमार डे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड nirmalkumardey07@gmail.com