कविता

ठिठुरन

माह दिसम्बर आया है भाई
अपने संग जाड़ा को ले आई
चारो दिशा में ठंडक है छाई
ठंडक से बचना मेरे    साईं

सुरक्षा करती है हमें रजाई
कंबल भी करता है  भलाई
छिपना है कंबल हो या रजाई
आग भी करता है   सेंकाई

सुबह शाम ठंडक का आलम
सुरक्षा कवच स्वेटर है जानम
गरम पानी से करना स्नान
सर्दी से बचना     भाईजान

गर्म गर्म खाना है हमें खाना
च्यवनप्राश को दोस्त बनाना
गर्म चाय को भी अपनाना
ठंडे पानी से खुद को बचाना

चादर से ना पंगा कभी लेना
कान में मफलर की सेवा पाना
हाथ दस्ताना करे    सवाल
मौजा पैर में लगाना जनाब

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088