Author: *आशीष तिवारी निर्मल

हास्य व्यंग्य

व्यंग्य : मेरे होते हुये तू दूसरा मुर्गा न फंसा।

इन दिनों शायर प्यारेलाल बड़े उदास से रहते हैं।मायूसी से भरे दिन एवं खोयी-खोयी रातें जैसे-तैसे कट रहीं हैं।लगातार आ

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