व्यंग्य : मेरे होते हुये तू दूसरा मुर्गा न फंसा।
इन दिनों शायर प्यारेलाल बड़े उदास से रहते हैं।मायूसी से भरे दिन एवं खोयी-खोयी रातें जैसे-तैसे कट रहीं हैं।लगातार आ
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Read Moreघर का चिराग जब घर को जलाये क्या उस पर गर्व करूँ घर का भेदी ही जब लंका ढ़हाए क्या
Read Moreसब कुछ तुमको सौंप दिया मिला ना तुम से अपनापन। नेह का नीड़ उड़ा ले गयी स्वारथ की जो बही
Read Moreआपका तो मुझे नहीं पता …! लेकिन हमें हमारे शिक्षकों ने बचपन में पढ़ाया था कि “रामचंद्र कह गये सिया
Read Moreदिल में आया कि आपको फोन करके नववर्ष की शुभकामना दूं। तभी दूसरा प्रश्न दक्ष हो गया कि आपने मुझे
Read Moreबचकर रहना यार, जमाना जालिम है हो जाओ होशियार, जमाना जालिम है। अपनापन,भाईचारा खत्म हो चुका है है रिश्तों में
Read Moreमित्रवर आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि चमड़े की जबान है साहब फ़िसल गई।अगर चमड़े की जबान फ़िसल
Read Moreजिससे मिलने के लिए मैं परेशान बहुत था,, उसके मिलने का ढंग देख मैं हैरान बहुत था। चाहतों के भंवर
Read Moreमोहब्बत यदि गुनाह है तो गुनाह मत करना किसी के वास्ते खुद को तबाह मत करना। तुम उसको चाहो भले,वो
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