Author: *बबली सिन्हा

कविता

मौन

मौन कतई चुप्पी नहीं मौन तो एकाग्रता है ज्ञानेन्द्रियों में तालमेल बिठाने का इन्द्रियों को संकेंद्रित कर आंतरिक शक्तियों को

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