नदियाॅं
कल -कल ध्वनि मृदुल सुनातीं नदियाॅं । घर्र-घर्र कर बरसात में डरातीं नदियाॅं ।। इठलातीं / बलखातीं / इतरातीं नदियां ! मीलों
Read Moreइस सुंदर जग को ईश्वर ने बड़े ही प्रेम से बनाया है । जगत में भिन्न-भिन्न जीव जंतु ईश्वर का
Read Moreस्वदेशी के नाम पर आजकल बहुत हो-हल्ला हो रहा है । जिसे देखो, वही स्वदेशी की बात कर रहा है
Read Moreजनपद आगरा के गांव रिहावली में पुनः जनजीवन सामान्य होने लगा है । आपको बता दें कि बीती पन्द्रह अप्रैल
Read Moreलोग मर रहे हैं सांस-सांस के लिए तड़प रहे हैं चहुंओर भयावह मंजर है । जरा एक नजर तो घुमाओ
Read Moreरोज सूरज उगता था एक जैसा… परन्तु आज अलग उगा है जिसमें कोई आकर्षण नहीं नजर आ रहा है फीका-फीका
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