आत्मकथ्य : कैसा रहा साल – 2019 मेरे लिए
निरन्तर चलना ही जिंदगी है, फिर चाहे जाड़ा हो, गर्मी हो, बरसात हो बस चलना ही है और मैं निरन्तर
Read Moreनिरन्तर चलना ही जिंदगी है, फिर चाहे जाड़ा हो, गर्मी हो, बरसात हो बस चलना ही है और मैं निरन्तर
Read Moreवो लोग और उनका अपनापन अब नहीं रहा पहले गाँव, गाँव था अब गाँव कम, मिनी शहर बन गया है
Read Moreनन्हीं सी प्यारी-प्यारी चिड़िया इतनी भारी सर्दी में बैठी मेरी छत की मुंडेर पर गुटुर-गुटुर… चीं-चीं, चूं-चूं करती है |
Read More“ देहाती काव्याभिनन्दन ” लघुकाव्य पुस्तिका है, जिसकी रचनाएं सीधे हृदयतल तक कम्पन करा दें | करीब सत्रह (17) रचनाकारों
Read Moreबिजली के नंगे तारों से, चिड़िया धोखा खा जाती, गलती से चोंच भिड़ा जाती | करंट खाकर मर जाती ||
Read Moreनदी किनारे लगा था मेला, सारे बच्चे मिलजुल गये घूमने | धमा-चौकड़ी सबने खूब मचाई, देखा जो हाथी बनाके साथी
Read Moreसड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा यह ज्ञान है सच्चा आपाधापी, जल्दी-सल्दी करना मत ड्राइविंग के समय ख्वाबों में, ख्यालों में
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