क्षणिकाएँ
क्षणिकाएँ १ . लीची और भूख सत्ताओं का निर्बल से सदा यही व्यवहार जैसे लीची भूखे को हिं करती है
Read More” आज का दिन कैसा रहा बेटू ?” श्रीमती शर्मा ने रोज की तरह स्कूल से लौटी अपनी सात वर्षीय
Read Moreगरमी अपने संग लाती लंबी छुट्टी हर साल छुट्टी आते हि याद आते नानी और ननिहाल बैठते हि छुक छुक
Read More# परशुराम का संताप यह संताप प्रबलतम् हृदय विशद का अमिट कलंक यह मुझ पर मातृ वध का सत्य है
Read More” बेटा , कथरीसाज आया है । पुरानी साड़ियाँ जो निकाली थीं लेकर आना जरा।” मेरी माँ बुला रहीं थी
Read Moreफाइलों के बोझ ढ़ोती , तंत्र की मारी मदद उपलब्ध बस विज्ञापनों में , शुद्ध सरकारी मदद ।। लोगों ने
Read Moreये झड़ी नहीं है सावन की ,,, बस प्रीत विरह की कड़ियाँ है । ये पिया दरश को तरस रही
Read Moreबीते समय की सुख कड़ियाँ चलचित्र सी चित मे चलती है अब दृगजल बन वह मधु स्मृति अनायास नयन से
Read Moreभोर की पहली किरण है , और तुम हो प्रेम से भीगे ये क्षण हैं , और तुम हो ।।
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