कविता
पेड़ पौधे तृण घास निराले लगे उपवन में छवि निराले बाग बगीचे शीतल छईया सब मधुबन की कोमल कालियां प्रात:
Read Moreहे मां सरस्वती सनले पुकार मेरी तू विधा दायनी भयहारिणी भक्तो को अपने तार दे मां। तेरी दया के आंचल
Read Moreआसमां से तारे लाती सबका दिल शीतल कर देती उसके बिन सुना जग सारा ए सखि साजन?ना सखि माता।
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