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देश को मिला एक भावुक प्रधानमंत्री

अभी तक हमारा देश मनमोहन सिंह के रूप में पिछले 10 साल से जिस प्रधानमंत्री को झेल रहा था, वे अपने भावहीन चेहरे के लिए कुख्यात हैं। प्रसंग चाहे सुख का हो या दुःख का, उनके चेहरे पर किसी भी तरह के भाव पढ़ पाना असम्भव था। अपने शाश्वत और स्थायी मौन के कारण भी वे इस स्थितिप्रज्ञता को प्राप्त हुए थे। इसीलिए कई लोग उन्हें ‘रोबोट’, ‘कठपुतली’ और ‘काठ का उल्लू’ तक कह देते थे। इसमें कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है, लेकिन इसमें सत्य का बड़ा अंश है। कई विदेशी टिप्पणीकारों ने भी यह कहा है कि मनमोहन सिंह सोनिया गाँधी के हाथ की कठपुतली मात्र थे।
देश के सौभाग्य से अब हमें नरेन्द्र मोदी के रूप में एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जो अपनी सरल हृदयता और भावुकता के कारण संसार भर में प्रशंसा बटोर रहा है। हालांकि उनके खिलाफ दुष्प्रचार करने वालों ने नरेन्द्र मोदी की छवि गुजरात के 2002 के दंगों के बहाने एक दानव की तरह बनाने की पूरी कोशिश की, इसके बावजूद कि सुप्रीम कोर्ट और उसके द्वारा बनाये गये जाँच दलों ने उनको पूरी तरह निर्दोष पाया है। परन्तु जनता के ऊपर इसका रत्ती भर भी असर नहीं हुआ और यह स्पष्ट हो गया कि बाहर से रूखे लगने वाले इस व्यक्ति का हृदय मक्खन जैसा है जो जनता के दुख की आग से पिघल जाता है।
इसका आभास पिछले चुनाव प्रचार में मोदी जी के भाषणों से मिलता था। वे जिस स्थान पर भी रैली करते थे, वहाँ की स्थानीय विशेषताओं और प्रतीकों का भरपूर उपयोग करके वहाँ के लोगों का हृदय जीत लेते थे। उनकी बात उनके दिल से निकलती थी और श्रोताओं के कानों से रास्ते सीधे उनके दिल में उतर जाती थी। श्रोताओं को अपनी बातों से मंत्र-मुग्ध कर देने वाला ऐसा वक्ता अटल बिहारी वाजपेयी के बाद देश और दुनिया ने पहली बार देखा था।
मोदी जी का हृदय कितना भावुक है, इसका पहला स्पष्ट परिचय देश को तब मिला, जब भाजपा की भारी जीत के बाद भाजपा संसदीय दल की बैठक में आडवाणी जी ने बहुमत के लिए कार्यकर्ताओं और मोदी जी की ‘कृपा’ की चर्चा की। यह शब्द मोदी जी को भीतर तक हिला गया। जब मोदी जी के बोलने की बारी आयी, तो उन्होंने कहा कि भाजपा मेरी माँ है। अपनी माँ की सेवा करना उसके ऊपर कोई कृपा करना नहीं है, बल्कि यह पुत्र का कर्तव्य होता है। यह कहते हुए उनकी आँखें छलछला आयीं।
इसी भाषण के समय उनकी आँखें दूसरी बार तब भर आयीं जब उन्होेंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि अगर आज अटल जी यहाँ होते तो कितने प्रसन्न होते। शायद यह सोचकर उनकी आँखों में पानी आ गया था कि एक समय का सबसे श्रेष्ठ वक्ता अब इतना लाचार हो गया है कि एक शब्द भी बोल नहीं सकता। एक ही दिन में दो-दो बार मोदी जी का यह भावुकता भरा रूप देखकर सारा देश हतप्रभ रह गया। कठोर आकृति वाला यह व्यक्ति इतना भावुक है, यह देश को पहली बार पता चला।
हालांकि मोदी जी ने देश सेवा के जुनून के कारण अपनी ब्याहता पत्नी को कभी अपने साथ नहीं रखा और काफी समय बाद ही उनको पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इससे लोग यह समझते हैं कि अपने परिवार के प्रति उनको बिल्कुल मोह नहीं है। यह बात सत्य हो सकती है, लेकिन पूरी तरह नहीं। वे भले ही अपने परिवार के लोगों को अपने पास नहीं आने देते, ताकि कोई उनकी स्थिति का अनुचित लाभ न उठाये, परन्तु अपनी माँ के प्रति अपना कर्तव्य वे कभी नहीं भूले। अपने हर अभियान के पहले और सफलता के बाद वे अपनी माँ का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते।
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद और भाजपा संसदीय दल का नेता बन जाने के नाते प्रधानमंत्री बनने के लिए दिल्ली जाने से पहले भी वे अपनी माता का आशीर्वाद लेने गये। उनकी माँ ने अपने महान बेटे का तिलक किया और उनको अपने हाथ से मिठाई खिलायी। इसके साथ ही उन्होंने आशीर्वाद के साथ मोदी जी को 101 रुपये भी भेंट किये। यही भेंट लेकर वे दिल्ली गये।
उनकी महानता और सहृदयता का एक रूप संसार को तब दिखायी दिया, जब उन्होंने अपने 12 साल से अधिक के मुख्यमंत्रित्व काल में संचित लगभग 21 लाख रुपये की सारी राशि अपने कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पुत्रियों की शिक्षा एवं विवाह आदि के लिए समर्पित कर दिये। वे दिल्ली केवल अपनी माँ से प्राप्त 101 रुपये लेकर गये।
उनकी महानता और भावुकता का एक अन्य रूप तब देखने को मिला, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आये। बातचीत में शरीफ साहब ने मोदी जी को बताया कि जब टीवी पर उनकी माँ द्वारा उनको मिठाई खिलाने का दृश्य आ रहा था, उस समय वे भी अपनी माँ के साथ भोजन कर रहे थे। उस दृश्य को देखकर उनकी माँ भावुक हो गयीं। यह बात मोदी जी के दिल को छू गयी और उन्होंने विदा होते समय शरीफ साहब को उनकी माता के लिए एक शाल भेंट की।
कुछ दिन बाद ही नवाज शरीफ की बेटी ने मोदी जी द्वारा उनकी दादी के लिए दी गयी इस सहृदयतापूर्ण भेंट पर अत्यन्त गदगद होते हुए ट्विटर पर लिखा कि उनके पिता ने स्वयं जाकर दादी को मोदी जी की वेशकीमती भेंट प्रदान की, जिसे पाकर उनकी माँ की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। इस घटना से पूरे संसार ने मोदी जी की महानता के दर्शन किये। सच है, कि जो अपनी माँ को गहराई से प्यार करता है, वही दूसरों की माँ का भी सम्मान कर सकता है।
यह हमारे देश का सौभाग्य है कि इस समय देश की बागडोर ऐसे सहृदय व्यक्ति के हाथों में है, जो गरीबों के कष्ट देखकर पिघल जाता है। ऐसा व्यक्ति कभी देश की जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग भी नहीं करेगा, किसी तरह के भ्रष्टाचार की तो बात ही दूर है। प्रधानमंत्री के रूप में नये घर में जाते समय मोदी जी ने उसमें किसी भी तरह का परिवर्तन कराने से मना कर दिया। उन्होंने अपने मंत्रियों को भी स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि खर्चों में कमी लायें और अनावश्यक खर्चे बिल्कुल न करें।

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

One thought on “देश को मिला एक भावुक प्रधानमंत्री

  • modi ji is the best person ever since independence. may god grant him atleast 20 years to serve india.vijay bhaai i totally agree with you that he is a kind hearted as well as a tough guy to deal with the problems of india.long live modi ji.

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