हाइकु/सेदोका

हाइकु -1

बिखरे नीड़
भस्म हुये सपने
हृदय पीड़

घिरे बादल
अंतर्मन सिसके
हम घायल

कुश की शैया
व्यथित हुआ भीष्म
मृत्यु लालसा

ठिठके पाँव
विरानापन देख
औझल गाँव

प्रवीन मलिक

मैं कोई व्यवसायिक लेखिका नहीं हूँ .. बस लिखना अच्छा लगता है ! इसीलिए जो भी दिल में विचार आता है बस लिख लेती हूँ .....

One thought on “हाइकु -1

  • विजय कुमार सिंघल

    आपके हाइकु अच्छे हैं., प्रवीण जी. लेकिन अपना परिचय हिंदी में लगायें.

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