हर रूप में नारी महान…. (कविता)
क्रोधाग्नि में हो तो कुछ भी कर गुजरती है ,
स्नेह में हो तो आकाश को भी पीछे छोड़ देती है,
वात्सल्य की मूर्ति बन अवनि के गरूर तोड़ दे ,
मीठी वाणी ऐसी की मन को भी हर जाये ,
प्यार में हो तो झरने की तरह बहती जाये ,
अपराजिता, निडर, अति सहनशील है वह ,
निर्छल, निर्मल,प्यारी सी नारी है वह ,
नारी है तो ही नर का अस्तित्व है ,
वर्ना बताओ आप क्या उनका महत्व है ,
माँ है बेटी है पत्नी है यह नारी ,
हर रूप में नारी महान और आदरणीय है नारी |